कोरोना के चलते खेलों की दुनिया में ब्रेक लगा है और स्टेडियम में कोचिंग भी पूरी तरह बंद है। ऐसे में प्रदेश के विभिन्न स्टेडियमों में तैनात संविदा अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों के अनुबंध का नवीनीकरण न होने के चलते उनके सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।
इन हालातो से आजिज होकर आज डिप्लोमा धारक खेल प्रशिक्षक एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में खेल निदेशालय के बाहर लगभग 22 से 23 प्रशिक्षकों ने चाट, चाय, सब्जी व व अन्य सामान की दुकान लगाने के साथ जूता पालिश करके प्रदर्शन किया।
इन प्रशिक्षकों के अनुसार अनुबंध का नवीनीकरण न होने के चलते हमारे सामने परिवार के सामने संकट खड़ा हो गया है क्योंकि पिछले पांच माह से हमे वेतन नहीं मिला है। इन प्रशिक्षकों के अनुसार कई बार अपील की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद हमने इस प्रदर्शन का निर्णय लिया। कोचों की मांग थी कि सरकार हमारे बारे में कुछ सोचे।
हालांकि इन प्रशिक्षकों ने ठेला लगाने के साथ जूता-पालिश करके प्रदर्शन करते हुए अपना विरोध जताया। इस प्रदर्शन की जानकारी होने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने धारा 144 का हवाला देकर इन्हें भगा दिया। इन प्रशिक्षकों के अनुसार परिवार के पालन पोषण के साथ तो बच्चों के भविष्य का संकट खड़ा हो गया है।
हालांकि हमारे प्रशिक्षु कई खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे है लेकिन हम इस समय पटरी पर दुकान लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है। इस मामले में इन प्रशिक्षकों ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते लगे लाकडाउन के चलते हमे गत 24 मार्च को कार्यमुक्त कर दिया गया था।
हमारे अनुबंध का नवीनीकरण एक अप्रैल से होना था जिसकी सिफारिश विभिन्न मंडलों के क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारियों ने कर दी थी लेकिन अभी तक हमारा नवीनीकरण नहीं हो सका । हालांकि अन्य विभागों में संविदा कर्मियों की सेवा बहाल है। इन प्रशिक्षकों ने तर्क दिया कि हमारी मांगों पर विचार करके समस्या का समाधान किया जाए।
वैसे इन पुलिस द्वारा मौके से हटाए जाने के बाद भी इन प्रशिक्षकों के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि परिवार के सामने जो जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है, आखिर वो कैसे सुलझेगा। इस मामले में डिप्लोमा खेल धारक प्रशिक्षक एसोसिएशनए यूपी के सचिव विकास यादव ने हाई कोर्ट में रिट याचिका भी दायर की है।